05may 2023
यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि पर लगने वाले इस चंद्र ग्रहण पर 130 वर्षों बाद दुर्लभ संयोग बनेगा, दरअसल 130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण दोनों का संयोग बन रहा है।
चंद्र ग्रहण क्यो लगता है?
चंद्र ग्रहण या चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच से आती है और चंद्रमा पृथ्वी के प्रकाश से घिरे होने के कारण पृथ्वी के अंतर में पड़ा चंद्रमा का प्रतिबिम्ब बन जाता है। इस अवसर पर चंद्रमा पृथ्वी के प्रकाश से घिरे रहने के कारण लाल या भूरा दिखाता है।
चंद्र ग्रहण दो प्रकार के होते हैं: पूरन, अर्ध और उपछाया। पूरन चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी के अंतर में पड़ा है और लाल या भूरा दिखाता है। अर्ध चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का सिर्फ एक भाग पृथ्वी के अंतर में पड़ा होता है। उपचय चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी के अंतरीक्ष के बाहरी हिस्से से गुजर जाता है और चंद्रमा थोडा सा धुंधला दिखाई देता है।
चंद्र ग्रहण की वजह से हमारे सौर मंडल की स्थिति में परिवर्तन होता है। इसके अलावा, ये अवसर वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे पृथ्वी-चंद्रमा-सूरज की गति वैज्ञानिक दृष्टि से समझने में मदद मिलती है।
Date and Time of the Lunar Eclipse in India in 2023: सूर्य ग्रहण के बाद साल का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि को लगने जा रहा है। साल का यह पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को लगेगा। चंद्र ग्रहण या चंद्र ग्रहण तब लगता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच से आती है और चंद्रमा पृथ्वी के प्रकाश से घिरे होने के कारण पृथ्वी के अंतर में पड़ा चंद्रमा का प्रतिबिम्ब बन जाता है। इस अवसर पर चंद्रमा पृथ्वी के प्रकाश से घिरे रहने के कारण लाल या भूरा दिखाता है।
चंद्र ग्रहण दो प्रकार के होते हैं: पूरन, अर्ध और उपछाया। पूरन चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी के अंतर में पड़ा है और लाल या भूरा दिखाता है। अर्ध चंद्र ग्रहण में चंद्रमा का सिर्फ एक भाग पृथ्वी के अंतर में पड़ा होता है। उपचय चंद्र ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी के अंतरीक्ष के बाहरी हिस्से से गुजर जाता है और चंद्रमा थोडा सा धुंधला दिखाई देता है।
चंद्र ग्रहण की वजह से हमारे सौर मंडल की स्थिति में परिवर्तन होता है। इसके अलावा, ये अवसर वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इससे पृथ्वी-चंद्रमा-सूरज की गति वैज्ञानिक दृष्टि से समझने में मदद मिलती है।
आपको बता दें कि 15 दिनों के अंतराल पर यह साल 2023 का दूसरा ग्रहण होगा। इसके पहले 20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था। इस ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सका था। अब बुद्ध पूर्णिमा के दिन साल का पहला चंद्रग्रहण लगेगा। यह ग्रहण एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जिसमें चांद की सतह पर धूल भरी आंधी के रूप में नजर आएगा। आइए जानते हैं साल के पहले चंद्र ग्रहण का समय, सूतककाल और इसे कहां-कहां पर देखा जा सकेगा।
क्या भारत मे चंद्र ग्रहण दिखेगा ?
खगोल विज्ञानियों के अनुसार साल का पहला चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया के ज्यादातर हिस्से, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत,अटलांटिक,अंटार्कटिका और हिंद महासागर में दिखाई देगा। जहां तक भारत में इस चंद्र ग्रहण के दिखाई देने का मामला है तो ज्यादातर खगोल शास्त्र के जानकारों और हिंदू पंचांग की गणनाओं के आधार पर यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। लेकिन टाइम एंड डेट डॉट काम के अनुसार भारत के कुछ हिस्सों में इस चंद्र ग्रहण को देखा जा सकता है।
कब से शुरू होगा चंद्र ग्रहण?
साल का पहला चंद्र ग्रहण भारतीय समय के अनुसार 5 मई को रात 8 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगा। जो आधी रात को यानी 1 बजकर 1 मिनट तक चलेगा। ग्रहण का उच्चतम काल रात 10 बजकर 52 मिनट पर होगा।
यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा साल का पहला चंद्र ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। खगोल विज्ञान के अनुसार जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो तब ये तीनों एक सीधी लाइन में कुछ देर के लिए आ जाते हैं। इस घटना को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं। जब पृथ्वी की परछाई सीधी चंद्रमा पर न पड़े तो इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं।
भारत में सूतक काल मान्य हो कि नहीं?
धार्मिक नजरिए से जब भी उपच्छाया चंद्रग्रहण लगता है तो इसको ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है ऐसे में इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण के होने पर ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है जबकि चंद्र ग्रहण होने पर 9 घंटे पहले सूतक शुरू हो जाता है। सूतक काल में किसी भी तरह का शुभ काम और पूजा-पाठ नहीं किया जाता है। सूतक की समाप्ति के बाद ही सभी तरह के धार्मिक कार्य दोबारा से शुरू होते हैं।